CG News: छत्तीसगढ़ के रायपुर राज्य में स्टार्टअप फ्रेंडली इको-सिस्टम डेवलप करने सेक्रेटेरिएट बनाया जा रहा है। यह पहल सभी इन्क्यूबेशन सेंटर मिलकर कर रहे हैं। सेक्रेटेरिएट के जरिए स्टार्टअप, इन्वेस्टर्स और कॉरपेंटेट इंडस्ट्री का एक नेटवर्क डेवलप किया जाएगा। सेक्रेटेरिएट बन जाने के बाद कोई भी इन्क्यूबेशन सेंटर में जाकर अपना रिसर्च वर्क कर सकेगा।
CG News: सभी इन्क्यूबेशन सेंटर्स की पहल
साथ ही सभी सेंटर के एक्सपर्ट की मदद स्टार्टअप को डेवलप करने के लिए मिलेगी। इसके लिए मीटिंग की जा रही है साथ ही पॉलिसी बनाने के लिए कमेटी भी तैयार की गई है। पॉलिसी बन जाने के बाद इसका काम शुरू हो जाएगा।
एनआईटी के इन्क्यूबेशन सेंटर के फैकल्टी इंचार्ज डॉ. अनुज कुमार शुक्ला और आईजीकेवी के इन्क्यूबेशन सेंटर के सीईओ डॉ. हुलास पाठक ने बताया कि सेक्रेटेरिएट के जरिए राज्य के सभी इन्क्यूबेशन सेंटर का नेटवर्क बनाया जा रहा है। इसके लिए देश के टॉप इन्क्यूबेशन सेंटर की मदद भी ली जाएगी।
स्कूल इनोवेशन सेल को भी करेंगे शामिल
राज्य के ज्यादातर स्कूल व कॉलेजों में इनोवेशन सेल संचालित हो रहे हैं। सेक्रेटेरिएट में इनोवेशन सेल को भी शामिल करेंगे। इंडस्ट्री-कॉरपोरेट कंपनियों के पास बहुत सारी समस्याएं होती हैं, जिन्हें वे खुद सॉल्व नहीं करते। वे इन समस्याओं को इनोवेशन सेल या काउंसिल से शेयर करेंगे। ऐसी स्थिति में इन समस्याओं का समाधान तलाशने का काम स्टूडेंट्स को दिया जाएगा।
सभी सेंटर्स को मिलेगी जिम्मेदारी
सेक्रेटेरिएट में राज्य में सभी सेक्शन 8 कंपनी यानी इन्क्यूबेशन सेंटर मिलकर काम करेंगे। सेक्रेटेरिएट की जिम्मेदारी किसी भी एक संस्थान के पास नहीं होगी। ये हर साल बदलती दी जाएगी। इसके लिए कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें सभी सेंटर हेड या सीईओ शामिल होंगे। यही कमेटी सभी स्टार्टअप को कॉरपोरेट व इंडस्ट्री से कनेक्ट करेगी और अवसर को शेयर करेगी।
खास बातें…
राज्य में 11 सितंबर तक 2002 स्टार्टअप इंडिया से रिकॉग्नाइज्ड।
इनमें से 849 यानी 42.40 फीसदी स्टार्टअप की फाउंडर महिलाएं।
कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज डिपार्टमेंट छत्तीसगढ़ की वेबसाइट के अनुसार, राज्य में 19 इन्क्यूबेशन सेंटर।
रायपुर के ही 10 से ज्यादा इन्क्यूबेशन सेंटर में 500 से ज्यादा स्टार्टअप जुड़ें।
स्टार्टअप, इन्वेस्टर्स, इंडस्ट्री तीनों को फायदा
उन्होंने बताया कि सेक्रेटेरिएट सेे स्टार्टअप, इन्वेस्टर्स, इंडस्ट्री तीनों को फायदा होगा। स्टार्टअप जहां इन्क्यूबेशन सेंटर के एक्सपर्ट और फैसिलिटी का उपयोग कर सकेंगे। इंडस्ट्री की समस्याओं के बारे में ज्ञान के साथ उस पर काम कर सकेंगे। फंडिंग मिलने में भी आसानी होगी। स्टार्टअप के लिए नया सपोर्ट सिस्टम और रिस्क फ्री पॉथ-वे डेवलप होगा।
इससे नए अवसर मिलेंगे और नए स्टार्टअप भी शुरू होंगे। साथ ही इन्वेस्टर्स सभी इन्क्यूबेशन सेंटर से जुड़ेंगे। उन्हें निवेश के नए मौके मिलेंगे। वही इंडस्ट्री कॉरपोरेट अपनी समस्याओं को इन्क्यूबेशन सेंटर व स्टार्टअप से डायरेक्ट शेयर कर सकेंगे। जिससे उन्हें समस्याओं का समाधान स्थानीय स्तर पर ही निकलेगा।