क्रांंति सेना भी मैदान में उतरी
700 साल पुराने बाबा हटकेश्वरनाथ मंदिर के महंत, पुजारियों समेत सभी नाविक इन पाटोंं को हटाने की मांग पर अड़ गए हैं। उनके पक्ष में क्रांंति सेना भी मैदान में उतर गई। बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। क्रांति सेना ने पाटों को हटाने के लिए 2 दिन का अल्टीमेटम दिया है। मांग पूरी नहीं होने पर डीडी नगर थाने का घेराव करने की चेतावनी दी है। महादेवघाट में खारुन गंगा आरती की शुरुआत तीन साल पहले हुई थी। क्रांति सेना का कहना है कि महादेवघाट में दूर-दराज से लोग मुंडन आदि संस्कार करवाने आते हैं। बड़े-बड़े पाटे लगाने से नित्य संस्कार के लिए जगह नहीं मिल पा रही है। इससे नाविकों का व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
छत्तीसगढ़ी अस्मिता से छेड़छाड़ की कोशिश: बघेल
घाट पर खारुन आरती करने की परंपरा में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए क्रांति सेना के प्रदेश अध्यक्ष अमित बघेल ने कहा कि खारुन आरती की परंपरा मंदिर स्थापना के समय यानी सदियों पुरानी है। महंत पंडित सुरेश गिरी 11 पीढ़ी से खारुन आरती करते आए हैं। यहां छत्तीसगढ़ी में खारुन आरती करने की परंपरा रही है। गंगा मां का पूरा सम्मान है, लेकिन खारुन तट पर गंगा आरती की नई परिपाटी शुरू कर छत्तीसगढ़ी अस्मिता से छेड़छाड़ की कोशिश की जा रही है। चंदा वसूली के लिए फ्लैक्स पर बड़े-बड़े क्यूआर कोड लगाए गए हैं। ऐसे फ्लैक्स महादेवघाट से निकलकर अब पूरे शहर में नजर आने लगे हैं। इससे भी साफ है कि यह धर्म से ज्यादा व्यापारिक आयोजन बनता जा रहा है। बघेल ने कहा कि हमें आरती से कोई आपत्ति नहीं है। रोज आरती हो, लेकिन यह छत्तीसगढ़ी में होगी। इस आरती को हटकेश्वरनाथ मंदिर के महंत और पुजारी संपन्न कराएंगे। सेना ने खारुन गंगा आरती के लिए अन्य राज्यों से बुलवाए गए पंडितों का सत्यापन कराने और घाट पर लगाए गए सीसीटीवी कैमरों को तत्काल हटाने की मांग की है।
आयोजन से खारुन की पहचान बढ़ी: सिंह
खारुन गंगा आरती का आयोजन करने वाली समिति के प्रमुख वीरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस आरती का विरोध करने वाले सनातन विरोधी हैं। हिंदू धर्म में चौका आरती के लिए पाटा लगाने की परंपरा है। आरती पिछले 3 साल से चल रही है। इस आरती में रोज बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। नाविकों के साथ मिलकर हमने मां खारुन को 108 फीट लंबी चुनरी चढ़ाई थी। ऐसे ही आयोजनों के जरिए खारुन की पहचान बढ़ी है।