Raipur News: अब ऑपरेशन थिएटर और अस्पतालों की चुप्पी टूट रही ह्रै। मरीज की पसंद के गीत बजने लगे हैं। ऐसा राजधानी के कुछ प्राइवेट अस्पतालों का इनिशिएटिव है। यह कोई नया फैशन नहीं बल्कि इलाज को आसान बनाने की वैज्ञानिक पद्धति है। संगीत मरीज का डर कम करता है, रक्तचाप सामान्य रखता है और सर्जरी को सहज बना देता है।
एमआरआई मशीन की तेज और डरावनी आवाज के बीच भी संगीत मरीज को सहज बनाता है। यह उसकी घबराहट कम करता है और जांच प्रक्रिया को आसान बना देता है। डॉक्टरों का मानना है कि यह तकनीक इलाज के दौरान सहयोगी साधन के रूप में बेहद प्रभावी साबित हो रही है। म्यूजिक थैरेपी कोई जादू नहीं बल्कि सपोर्टिंग टूल है। यह मरीज को रिलैक्स कर डॉक्टरों को भी सहजता से काम करने का मौका देता है।
नतीजा सर्जरी सफल, मरीज संतुष्ट और अस्पताल का माहौल भी तनावमुक्त। नेहरू मेडिकल कॉलेज कॉर्डियोलॉजी के एचओडी डॉ. स्मित श्रीवास्तव कहते हैं कि म्यूजिक का इस्तेमाल मरीज का रिलेक्स फील कराने के लिए किया जा रहा है। मोतियाबिंद की सर्जरी और एमआरआई कराने वाले एस.के. जैन बताते हैं इस दौरान मैंने मोहम्मद रफी के गाने सुने, मुझे अच्छा फील हुआ।
पेनकिलर की जरूरत कम
ऑपरेशन के पहले या दौरान बढ़ी हुई चिंता तनाव हार्मोन को सक्रिय कर देती है, जिससे रिकवरी धीमी हो जाती है। लेकिन रिलैक्स माहौल मरीज को न केवल सर्जरी के बाद कम दर्द महसूस कराता है, बल्कि एनेस्थीसिया और दर्द निवारक दवाओं की जरूरत भी घट जाती है।
डॉ. मंजू सिंह, एचओडी सर्जरी, नेहरू मेडिकल कॉलेज
शांत और सहज बनाए रखता है संगीत
सरकारी और निजी दोनों ही अस्पतालों में मरीजों को जांच या ऑपरेशन के दौरान पसंदीदा संगीत सुनाया जाता है। यह न केवल मरीज को तनाव और घबराहट से दूर करता है बल्कि ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन भी सामान्य बनाए रखता है। खासकर रीजनल एनेस्थीसिया और मोतियाबिंद जैसे ऑपरेशन, जहां मरीज पूरी तरह होश में रहता है, वहां संगीत उसे शांत और सहज बनाए रखता है।
- डॉ. प्रतिभा जैन, एचओडी एनेस्थीसिया, नेहरू मेडिकल कॉलेज
