Raipur News: लोगों को झांसा देने के लिए ठग कई तरीके अपना रहे हैं। अब किराए के एग्रीमेंट का दुरुपयोग कर रहे हैं। किराया एग्रीमेंट के जरिए कोई कंपनी, फर्म शुरू करते हैं और जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराते हैं। फिर कुछ समय बाद फरार हो जाते हैं। जीएसटी लाइबिलिटी होने के कारण जीएसटी का नोटिस मकान मालिक के पास पहुंचता है। फिर उन्हीं से तकादा करते हैं। इस तरह किराया एग्रीमेंट के दुरुपयोग के मामले सामने आने लगे हैं। इसलिए किराए का एग्रीमेंट बनाते समय बरतने की जरूरत है।
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फर्म बनाकर लोन भी ले रहे
ठगी करने वाले सुनियोजित ढंग से मकान-दुकान किराए पर लेते हैं। इसके लिए मालिक के साथ किराया एग्रीमेंट करते हैं। इस एग्रीमेंट के आधार पर फर्म रजिस्ट्रेशन, जीएसटी रजिस्ट्रेशन आदि करवाते हैं। कारोबार भी करते हैं। फिर दो-चार महीने बाद फरार हो जाते हैं। चूंकि जीएसटी रजिस्ट्रेशन में एड्रेस मकान-दुकान मालिक का ही लगा होता है, इस कारण जीएसटी वाले उसी एड्रेस से लाइबिलिटी का नोटिस भेजते हैं। ऐसे कई कामले सामने आ चुके हैं। कई लोग लोन लेकर भी फरार हो गए हैं।
किराएदारों के वेरीफिकेशन का है नियम: शहर में बड़ी संया में दूसरे शहर और राज्य के लोग आकर किराएदार के रूप में रहते हैं। इनमें से कई अपराधिक प्रवृत्ति के और संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं। इस कारण किराएदारों का वेरीफिकेशन कराने का नियम है। कई मकान मालिक अपने किराएदारों का वेरीफिकेशन नहीं करवा रहे हैं। हालांकि पुलिस बीच-बीच में आउटर की कॉलोनियों में छापा मारकर अवैध रूप से रहने वाले और संदिग्धों के खिलाफ कार्रवाई करती है।
मकान-दुकान का किराया एग्रीमेंट बनाते समय सावधानी बरतना चाहिए। एग्रीमेंट में नियम-शर्तों के अलावा किराएदार के बारे में पुलिस को भी सूचना देना चाहिए। उनका पुलिस वेरीफिकेशन कराना चाहिए। इससे किराएदार के बारे में पुलिस को जानकारी हो सकेगी।-लखन पटले, एएसपी, शहर, रायपुर