परिजनों को मिलेगी राहत, निजी अस्पतालों में खर्च नहीं करना पड़ेगा लाखों रुपए
वर्तमान में केवल आईवीएफ के निजी सेंटर हैं, जहां महिलाओं के परिजनों को लाखों रुपए खर्च करना पड़ रहा है। सेंटर के लिए जरूरी स्टाफ की भर्ती की जाएगी। उपकरण व मशीन भी खरीदे जाएंगे। मेडिकल कॉलेज से संबद्ध आंबेडकर अस्पताल में आईवीएफ सेंटर खुलने से कम खर्च पर महिलाएं मां बन सकेंगी।
रामबाण साबित होगी यह तकनीक
ये तकनीक उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होगा, जो सामान्य तरीके से गर्भधारण नहीं कर पा रही हैं। उनके लिए आईवीएफ तकनीक रामबाण साबित होगी। डॉक्टरों के अनुसार आंबेडकर में हर माह 75 से 100 महिलाएं आती हैं, जो मां नहीं बनने पर आईवीएफ तकनीक से मां बनना चाहती हैं। चूंकि ये सुविधा एम्स में भी नहीं है इसलिए डॉक्टरों को मजबूरन महिलाओं को निजी आईवीएफ सेंटर भेजना पड़ता है।
निजी सेंटर में खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल
राजधानी समेत प्रदेश में करीब 20 निजी सेंटर है, जहां महिलाओं को मां बनाने के लिए कोई निश्चित खर्च का अनुमान लगाना मुश्किल है। हालांकि कई आईवीएफ सेंटर पैकेज के तहत महिलाओं को मां बनाया जाता है। हालांकि जरूरतमंद परिवारों को कई बार कर्ज लेकर मां बनना पड़ रहा है। सरकारी क्षेत्र में आईवीएफ सेंटर खुलने से जरूरतमंदों को फायदा होगा।
एंड्रोलॉजिस्ट समेत नौ पदों पर की जाएगी भर्ती
आईवीएफ सेंटर में एंड्रोलॉजिस्ट समेत नौ पदों पर भर्ती की जाएगी। इसमें सालाना 9 लाख रुपए खर्च होगा। एंड्रोलॉजिस्ट का एक पद, एंब्रियोलॉजिस्ट के दो, एमएससी बायो टेक्नोलॉजिस्ट के चार व काउंसलर के दो पदों पर भर्ती की जाएगी। दरअसल आईवीएफ सेंटर में काउंसलर ही पति-पत्नी की काउंसलिंग कर उन्हें कृत्रिम गर्भाधान के लिए राजी करते हैं। टेक्नीशियन जरूरी जांच में मदद करेंगे। गायनेकोलॉजिस्ट यहां पहले से सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें विशेष ट्रेनिंग की जरूरत पड़ेगी।