Garba Time: छत्तीसगढ़ के रायपुर में नवरात्र के मौके पर राजधानी में गरबा ड्रेस और एसेसरीज की मांग जोरों पर है। दुकानदार बताते हैं कि अब जीरो साइज यानी 8-१0 महीने के बच्चों के लिए भी खास ड्रेस उपलब्ध हैं। बच्चों के लिए पैटर्न अलग-अलग काटकर तैयार किए जाते हैं। लाखे नगर स्थित शॉप की ओनर सुषमा अग्रवाल ने बताया, हम गरबा के लिए 1966 से परिधान किराए पर दे रहे हैं।उस वक्त तो लोगों को पता ही नहीं था कि गरबा के कपड़े किराए पर भी मिलते हैं। हालांकि उस वक्त ट्रेडिशनल डांडिया ही खेला जाता था। ज्यादातर आयोजन सामाजिक स्थानों पर होते थे। पिछले 10-12 वर्षों से गरबा उत्सव का ट्रेंड बढ़ा है। एक दिन का किराया कम से कम 300 रुपए और अधिकतम 1500 से 2000 रुपए तक है।साल दर साल गरबा का ट्रेंड बढ़ने की वजह से अग किराए पर परिधान देने की दुकानें भी बढ़ने लगी हैं। कपड़ों के ब्रांडेड शॉप्स में सिर्फ ट्रेडिशनल परिधान मिलते हैं, जबकि फैंसी और नए डिजाइन रेंट शॉप पर ही मिल रहे हैं।गरबा में जितने भी कपड़े किराए पर जाते हैं उनकी धुलाई नवरात्र के बाद होती है। सुषमा बताती हैं, थीम-आधारित ड्रेस का चलन भी तेजी से बढ़ा है। छत्तीसगढ़ी, पंजाबी, मराठी और बंगाली स्टाइल की ड्रेस लोग पसंद कर रहे हैं। पारंपरिक परिधान के साथ अब कौड़ी का नया सेट भी आकर्षण का केंद्र बना है। पहले कौड़ी सिर्फ कपड़ों में आता था, लेकिन अब इसे सेट के रूप में भी डिजाइन किया जा रहा है। पिछले 10 सालों से ट्रेंड लगातार बढ़ा है।