International Literacy Day 2025: छत्तीसगढ़ में लड़कियों की शिक्षा में बढ़त केवल अकादमिक सफलता नहीं, बल्कि समाज में उनकी स्थिति सशक्त बनाने की दिशा में एक मजबूत संकेत है। यदि यह रुझान जारी रहता है, तो आने वाले वर्षों में राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
विभिन्न क्षेत्रों में लड़कियां लड़कों की या तो बराबरी कर रही है या उनसे आगे निकल रही हैं। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल के आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले पांच वर्षों में लड़कियों ने लगातार बेहतर प्रदर्शन किया है। चाहे 10वीं हो या 12वीं, लड़कियों का पासिंग प्रतिशत हमेशा लड़कों से अधिक रहा है। बता दें कि पिछले पांच वर्षों में औसतन लड़कियों ने 6 से 9 प्रतिशत अधिक अंक हासिल किए। केवल 2021 में कोरोना महामारी के चलते सभी विद्यार्थियों को उत्तीर्ण घोषित किया गया, अन्य वर्षों में यह ट्रेंड स्पष्ट रहा।
साक्षरता क्या होती है?
हर साल 8 सितंबर को साक्षरता दिवस मनाया जाता है। साक्षरता शब्द साक्षर से बना है, जिसका अर्थ अक्षर समझने में सक्षम व्यक्ति से है यानी जो पढ़ने लिखने में सक्षम हो। बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक शिक्षा के प्रचार-प्रसार को लेकर साक्षरता दिवस मनाते हैं।
इस मौके पर हम रायपुर के दसवीं-बारहवीं में गर्ल्स और ब्वॉयज परसेंटेज का एनॉलिसिस कर रहे हैं। हितेश दीवान, प्रिंसिपल, दानी गर्ल्स स्कूल कहते हैं, गर्ल्स की निरंतर मेहनत, अनुशासन और परिवारों का सहयोग उन्हें आगे रखता है। दूसरी ओर ब्वॉयज की तुलना में उनकी पढ़ाई में नियमितता और समय प्रबंधन बेहतर माना जाता है।
किस वर्ष कितना प्रतिशत रहा रिजल्ट
- 2024: 10वीं बोर्ड में गर्ल्स का उत्तीर्ण प्रतिशत 79.35 रहा, जबकि ब्वॉयज 71.12 प्रतिशत पर सीमित रहे। इसी तरह 12वीं में गर्ल्स ने 83.72 प्रतिशत और ब्वॉयज 76.91 प्रतिशत।
- 2023 में भी यही तस्वीर रही। 10वीं में गर्ल्स 79.16 प्रतिशत और ब्वॉयज 70.26 प्रतिशत; 12वीं में गर्ल्स 83.84 प्रतिशत और ब्वॉयज 75.36 प्रतिशत।
- 2022 में 10वीं में गर्ल्स 78.84 प्रतिशत और ब्वॉयज 69.07 प्रतिशत रहे। वहीं 12वीं में गर्ल्स 81.15 प्रतिशत और ब्वॉयज 77.03 प्रतिशत पर रहे।
- 2021 में कोरोना की वजह से 10वीं में सभी विद्यार्थियों को पास कर दिया गया, जबकि 12वीं में गर्ल्स 98.06 और ब्वॉयज 96.06 प्रतिशत पर पहुंचे।
- 2020 में 10वीं में गर्ल्स 76.28 प्रतिशत, ब्वॉयज 70.53 प्रतिशत पर रहे, 2वीं में कुल 78.59 प्रतिशत।
जानिए कब और क्यों हुई साक्षरता दिवस मनाने की शुरुआत?
1965 में ईरान के तेहरान में आयोजित निरक्षरता उन्मूलन पर शिक्षा मंत्रियों का विश्व सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर साक्षरता को बढ़ावा देने के विचार को जन्म दिया। इसके बाद यूनेस्को ने 1966 में अपने 14वें आम सम्मेलन के दौरान आधिकारिक तौर पर 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में घोषित किया। एक साल बाद 8 सितंबर, 1967 को दुनिया ने पहली बार इस खास दिन को मनाया, जिसने एक महत्वपूर्ण वैश्विक पालन की शुरुआत की। इसका उद्देश्य था दुनियाभर के लोगों को शिक्षा के महत्व से जोड़ना और निरक्षरता को जड़ से मिटाना।
अब साक्षरता सिर्फ अक्षर पहचानना नहीं
आज के साक्षरता का मतलब सिर्फ अक्षर भर पढ़ने मात्र का नहीं रह गया है। बल्कि ये मोबाइल और कंप्यूटर चलाना , पैसे और बैंकिंग की समझ, सही-गलत खबर पहचानना और अपनी और दूसरों की भावनाओं को समझना हो चुका है। इसलिये 2025 में साक्षरता का मतलब है एक ऐसा इंसान जो न सिर्फ पढ़ सके बल्कि सोच-समझ सके और समाज में किसी न किसी तरह से योगदान दे सके।